स्क्रीन की दुनिया और बचपन

कोविड-19 के बाद पूरी दुनिया की दिशा और दशा में जहाँ परिवर्तन हो रहा है, वही तकनीक के क्षेत्र में शिक्षा जगत भी काफी आगे जा रहा है। सभी स्कूल / कॉलेज बंद होने के कारण शैक्षिक गतिविधियों में निरंतरता बनी रहे, जिसके लिए प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा आज पूरी तरह ऑनलाइन हो चुकी है। जहाँ कोरोना महामारी ने दुनिया के सभी क्षेत्रो को प्रभावित किया है वही बच्चों के जीवन पर भी इसका व्यापक प्रभाव पड़ा है। एक सर्वे के आधार पर वर्तमान समय में विद्यालयीय बच्चे स्क्रीन के साथ कम से कम पाँच घंटे बिता ही रहे है और किशोरावस्था वाले बच्चे औसतन छह से आठ घंटे तक स्क्रीन के साथ संलग्न है। इस स्थिति से जहाँ शैक्षिक गतिविधियों में थोड़ी निरंतरता आयी है, वही मनोवैज्ञानिकों ने इसके होने वाले दुष्परिणामों को लेकर चिंता भी व्यक्त किया है। स्क्रीन संलग्नता से बच्चो में निम्न दुष्परिणाम देखे जा रहे है ;
1. बच्चो में मानसिक व शारीरिक अस्थिरता उत्पन्न हो रही है।
2. बच्चो के शारीरिक गतिशीलता में कमी आ रही है। जिसके परिणामस्वरूप उनके शारीरिक विकास को उपयुक्त गति नहीं मिल पा रही है।
3. स्क्रीन के प्रयोग की अधिकता से बच्चो के आँखों पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। जैसे सूखापन आदि।
4. स्क्रीन संलग्नता के कारण उनकी एकाग्रता में भी कमी देखी जा रही है।
5. अधिक स्क्रीन संलग्नता के कारण बच्चों के सामाजिक व पारिवारिक समायोजन में भी कमी पायी जा रही है।
6. स्क्रीन संलग्नता के अधिकता बच्चों के सृजनात्मक क्षमता पर भी पर्याप्त नकारात्मक असर डाल रहा है।
7. बच्चो के स्क्रीन के अधिक उपयोग की आदत धीरे-धीरे लत में परिवर्तित हो जाती हैं।
इस समस्या से बचाव के कुछ उपाय
स्क्रीन के उपरोक्त दुष्परिणामों से बच्चो को बचाने के लिए अभिभावकों को कुछ सावधानियों की जरुरत होती हैं;
बच्चो को अपनी एक निश्चित दिनचर्या बनाने हेतु प्रेरित करना चाहिए। उसे अनुशरण करने में बच्चो को मदद करनी चाहिए।
बच्चो की दिनचर्या में आउटडोर गेम को भी स्थान होना चाहिए। जब वो मैदान में जाकर शारीरिक खेलो में व्यस्त हो।
स्क्रीन और आँख के मध्य उचित दूरी बनाये रखने हेतु प्रेरित करना चाहिए।
जहाँ तक संभव हो बड़ी स्क्रीन का प्रयोग करें।
3 डी गेम से बचना चाहिए।
कोई एक गेम ही लगातार न खेले।
स्क्रीन प्रयोग के समय उचित शारीरिक आसन का ही उपयोग करे ।
स्क्रीन से होने वाले दुष्परिणामों के प्रति सजग रहे, कोई समस्या होने पर बाल परामर्शदाता के पास जाने से न हिचके ।